Saturday, August 10, 2024

प्यासी है आत्मा

 प्यास है तो सही

मगर क्यूँ किस लिए

सर्वतत्व से आभूषित हूँ

छत अपनी 

संतान सुखी 

है लोभ नहीं 

धन माया प्रलोभन मुक्त हूँ

फिर क्यों है वितृषित, अनजान 

क्या चाहे मन है?



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