Missing you Baba 😭
अब भी -
हर सवेरे उठ कर मैं
रब से बातें कर के मैं
चहूँ ओर फैले सन्नाटे के
सीने पर सर टिकाती हूँ
प्रीत की शमा जला कर मैं
चाय की चुस्की ले
ठंडे मन को गरमाती हूँ
सब हैं
सब है
नहीं मगर तुम से बतियाँ
बाबा जब से गये हो तुम
ख़्वाबों की है सुलग बुझी
कहाँ नोक झोंक
कहाँ दीन और दुनिया की बतियाँ
शोख़ी शरारत सब रूठ गये
मेरी सुबह का कोना ख़ाली है
ना दिशा की चिंता
ना भीड़ में भटकन का भय
रात और दिन के पलटन में
यादों का सफ़र
बस जारी है ।
No comments:
Post a Comment