Dil agar kitab hota
दिल अगर किताब होता
और हर लम्हा
उसका वर्क सादा सा
क्या लिखता ज़ेहन
ज़िंदगी के क़लम से
जज़्बात की सुर्ख़ स्याही उँडल कर?
नाम कोई बेपरवाह अनजान का
या फिर उसका
जो यूँही कुछ
दिल से बेसाख़्ता क़रीब हो
नाम उस का गुदा होता
क़ुदरत की अमिट तहरीर बन
यूँकि उस के मन के लिखे
से मेरी लिखाई का मिलना ही
मेरी खूबसूरत तहरीर होता।
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