Saturday, August 24, 2024

beware

Am I lost or lack a defined purpose in life?

Or, may be the soul strife has drained me out. 

Motto is: we shall overcome. 

मौसम गीला है
आज मन भी
चाह नहीं ज़िंदा रहने की
पल पल है एहसास
आती जाती साँस 
मगर दिल की बोरसी
शीतल माटी,
अंतर्मन में जंग छिड़ी है
प्रभु पार्थ विच बिसात बिछी है - 
मन चाहे कुछ और इधर,
उधर अब बोझल मनन की बारी
चाल बदल दी मैंने झट से
मन की बढ़ती बाज़ी काटी; 
विदुर विदिशा बोले सखी रे,
तुम देखो
पढ़ लो समस्त इतिहास 
पन्नों पर वक़्त खुला पड़ा है 
बन इसी सत्य का साक्षी -
प्रेम लिप्सा क्षणभंगुर सदा की 
क़तई फिसल ना जाइयो
कदम कदम पे परखे है वो
प्रभुलीला को दिल से क़तई
मत लगाइयो!

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